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World Environment Day... पर्यावरणाला अजून तरी पर्याय नाही बरं...! पर्यावरण का कोई विकल्प नहीं...!

World Environment Day... पर्यावरणाला अजून तरी पर्याय नाही बरं... gives the message that there is no other option for Environment yet.


आजच वाचण्यात आलं की चीनचे अंतराळवीर हे आज पृथ्वीवर सहा महिन्यांची अंतराळातील परिक्रमा करून परत आले... सांगायचं एवढंच आहे की माणसाने तथा मानवजातीने किती जरी आपटली माफ करा... अश्या कितीतरी परिक्रमा केल्या तरी निसर्गाने ठरवलं की तो टप्यात आल्यावर मानवाचं वस्त्रहरण करतोच ...

आता काल परवाचा कोरोना असो वा त्या अगोदरची प्लेग ची महामारी वा अलीकडची अवकाळी वा उष्माघात जेव्हा जेव्हा मानवीय चुका  निसर्गाला असह्य होतात तेव्हा निसर्ग कोपतो... कोपतो म्हणण्या पेक्षा चोपतो म्हटलं तरी वावगं ठरू नये.



ज्या सृष्टीत आपण जन्म घेतलाय त्या सृष्टीचे आपणच मालक असल्यासारख आपण वावरतो आणि तिथेच चुकतं... ज्या निसर्गाने आपल्याला भरभरून दिलं त्या निसर्गालाच आपण ओरबडतोय हे किती दुःखद आहे. अहो या निसर्गातुन एक शुक्लक माशी जरी नष्ट झाली ना की संपूर्ण lifecycle disturb होऊन जाईल... 

झाडं लावा आणि झाडं जगवा ही घोषणा अगदी लहान असल्यापासून सर्वांनी वदली वा ऐकली आहे पण आपण किती पूर्णत्वास नेली हे आज अंतर्मनालाच विचारलं तर मान शरमेने खाली जाते.


आपल्या आज पर्यंतच्या पिढ्यानी जेवढं पर्यावरण वाचवलं त्याहूनही एक पाऊल पुढं टाकून आपल्या येणाऱ्या पिढ्यांसाठी पर्यावरणाचा होणारा ऱ्हास वाचवूया आणि जमेल, झेपेल, सोसेल तेव्हडे पर्यावरण वाचवूया....

हाच तो निर्धार आज जागतिक पर्यावरणाच्या निमित्ताने करू आणि ही सुंदर सृष्टी येणार्या पिढ्यांच्या हातात शिदोरी रुपी देऊ !


English Translations:

It was read today that the Chinese astronauts returned to the earth after a six-month orbit in space... all that is to be said is that no matter how many times man and mankind have suffered... no matter how many orbits, nature has decided that when it comes to the end, it will strip the human being.. .

 

Now, whether it was yesterday's corona virus or the plague epidemic before that or the recent bad weather or heat stroke, whenever human mistakes become unbearable to nature, then nature gets angry.

 

We act as if we are the owner of the creation in which we are born and that is where we go wrong... How sad that we are scratching the very nature which has given us abundance. Hey, even if one fly is destroyed from this nature, the entire lifecycle will be disturbed...

 

The slogan plant trees and live trees has been repeated or heard by everyone from a very young age but today if we ask ourselves how much we have accomplished, our heads sink in shame.

 

Let's take a step forward to save the environment for our future generations and save the environment as much as we can.

 Let's make that determination today for the sake of the global environment and give this beautiful creation the hands of future generations!


Hindi Translation:

आज पढ़ा कि चीनी अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में छह महीने की परिक्रमा के बाद पृथ्वी पर लौट आए... कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य और मानव जाति को चाहे कितनी ही बार कष्ट सहना पड़ा हो... चाहे कितनी भी परिक्रमाएँ करनी पड़ी हों। प्रकृति ने तय कर लिया है कि जब वह अंत तक पहुंचेगी तो इंसान को नंगा कर देगी.. .

 

अब चाहे कल का कोरोना वायरस हो या उससे पहले आई प्लेग महामारी या फिर हाल ही में आया ख़राब मौसम या लू, जब भी इंसान की गलतियाँ प्रकृति के लिए असहनीय हो जाती हैं तो प्रकृति क्रोधित हो जाती है।

 

हम ऐसे व्यवहार करते हैं मानो हम उस सृष्टि के मालिक हैं जिसमें हमने जन्म लिया है और यहीं हम गलत हो जाते हैं... कितना दुखद है कि हम उसी प्रकृति को नोच रहे हैं जिसने हमें प्रचुरता दी है। अरे, इस प्रकृति से एक मक्खी भी नष्ट हो जाये तो पूरा जीवनचक्र अस्त-व्यस्त हो जायेगा...

 

पेड़ लगाओ और पेड़ जियो का नारा बहुत कम उम्र से सभी ने दोहराया या सुना है, लेकिन आज अगर हम खुद से पूछें कि हमने कितना हासिल किया है, तो हमारा सिर शर्म से झुक जाता है।

 

आइए अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को बचाने के लिए एक कदम आगे बढ़ाएं और जितना हो सके, जब तक हम कर सकें पर्यावरण को बचाएं...

आइए आज वैश्विक पर्यावरण की खातिर यह संकल्प लें और इस खूबसूरत रचना को आने वाली पीढ़ियों के हाथों में सौंपें!


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